तुम मान क्यों नही जाते
तुम भी मुझको जीते हो
मेरा इंतज़ार करते हो
मुझ से बातें करते हो
क्यूँ मेरा मन पढ़ते हो
महसूस मुझे करते हो
मेरे लिए कभी जगते हो
कभी नींद झटक उठते हो
तुम मान क्यों नही लेते
आंखे तुम ने भी पढ़ी है ।
तुम ने दस्तक सुन ली है
ये द्वार तुम्ही ने खोला है
आसन भी तुम्ही ने दिया है
दिल ने महफ़िल चुन ली है
तुम मान क्यों नहों जाते
ये इकतरफा गली नही है
मानो तो पाप नहीं है
मानो तो सजा बड़ी है
इतने तंगदिल तुम न हो
जितना तुम कह देते हो
मानो न मानो सजना
तुम प्यार मुझे करते हो
मैंने टुकड़ो में मांगा था
तुम टुकड़ा ही देते हो
बेनाम शहर में घर मेरा है
मेरा पता तुम ही को पता है ।
मैं प्रेम कर बैठी तुमसे
मेरी बस यही खता है ।
तुम रोको न खुद को
नियति एक दिन रोकेगी ।
तब सब कुछ रुक जाएगा
तुम चाहोगे तब भी न होगा
वक्त पर भी कुछ छोड़ो तुम
कुछ दिल की भी मानो तुम
मत बहकाओ खुद को
बस मान जाओ तुम
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