शनिवार, 27 मई 2017

लहर

लहरों का मुक्कदर देखो
समंदर में ही  रह
किनारों से सर पटकती है
मैं जैसे लहर तुम में रहूं भी
और अपना सर पटकूं भी
किनारों से न अलग हो पाऊं ।

लहर को लहर रखता है
हवा का कहर रखता है
तू कितना गहरा समुन्द्र है
ज्वार में  फर्क रखता है

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