रविवार, 23 फ़रवरी 2020

अपना ही घर कोई जलाता है क्या 
अपनी ही मौत कोई बुलाता है क्या 
ये बवाल ये बवंडर ये  धुँआ ये  राख
 है सब क्षितिज की ओर 
बरसेगा अब निवेश तेजाब सा 
उगेगी फसल भाईचारे की कसैली सी 
लिखूंगी मैं भी कुछ यादें मटमैली सी

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