बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

हम यदि जन्म ले पाएंगी
तब ही रौनक बन पाएंगी 
ओ बाबुल तेरे  आंगन में 
हम नाचेंगी और गाएंगी 
 
गाती है हम गुनगुनाती है 
  खेतो में और  खलिहानों मे
पर्वत पर और  मैदानों में 
हम भी कलरव रच जाएंगी 
हम यदि जन्म ले पाएंगी 

हम ही तो है जो गाती है 
गोदी में ले कर  लोरीयाँ
हम वत्सल नाद सुनाती है 
हम ही तुम्हे सुलाती है 
माँ बन कर सृष्टि चलाएंगी
हम यदि जन्म ले पाएंगी 

हम ही तो हैं जो गाती है 
जच्चा और सोहर की कलियां 
हम बन्ना बन्नी गा गा कर 
हर देहरी रंग जमाती है 
रुदाली के भी वचन भरेंगी 
हम यदि जन्म ले पाएंगी

हम ही तो है जो गाती है 
 मंदिर मंदिर भजन आरती 
घर मे भी नाद बजाती है 
गुरुद्वारे में पाठ करेगीं 
हम भवसागर तर जाएंगी 
हम यदि जन्म ले पाएंगी 

हम ही तो है जो पीड़ा में भी 
गाना कहाँ छोड़ती है 
हम तड़पी  बिरहा गीतों में 
हम दुख को सदा मोड़ती है 
हम प्रेम श्रंगार सब गाएंगी 
हम यदि जन्म ले पाएंगी 

न हिंसा हो न उत्पीड़न हो 
न हत्या हो न तेजाब डले 
न हो  जोर जबरदस्ती हम से 
न खरीदी बेची जाएंगी 
हम दुनिया की बुरी नजर से 
जब बच कर रह पाएंगी 
हम तब ही तेरे आंगन में 
चिडीया सी चहकती पाएंगी 
हम गाएंगी गुनगुनाएँगी 
हम जग की रौनक बन जाएंगी 
हम यदि जन्म ले पाएंगी 

सुनीता धारीवाल

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