शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

मैं नदी हूँ मेरा बहना जरुरी है 
मेरा सब कुछ कहना जरुरी है 

बांध थे गिर्द  तो सूखने लगी थी 
बहती ही रहूँ कि भरना जरूरी है 

तपता सूरज  सुनसान जमीं 
भरे बादल सा तेरा मंडराना जरुरी है 

मैं हाथ खोल जब आस करूँ 
तेरा जम के बरस जाना जरूरी है
Sd

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