शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

थोड़ा सा माहौल बनाना होता है,
वर्ना किस के साथ ज़माना होता है!

सच्चा शेर सुनाने वाले ख़त्म हुए,
अब तो ख़ाली खेल दिखाना होता है
            

ऐसी कोई बात नहीं मायूसी की,
सच में थोड़ा सा अफ़्साना होता है!

  सब की अपनी एक इकाई होती है,
 सब का अपना एक ज़माना होता है

दुनिया में भरमार है नकली लोगों की
सौ में कोई एक दीवाना होता है

रात हमारे घर जल्दी आ जाया कर
हमें सवेरे काम पे जाना होता है

आज बिछड़ते वक़्त मुझे मालूम हुआ
लोगों में अहसास का खाना होता है

लाल किले की दीवारों पर लिखवादो 
दिल सबसे महफूज़ ठिकाना होता है

अच्छे लोगों पर ही उँगली उठती है
सच की किस्मत में अफसाना होता है

आंसू पहली शर्त है इस समझौते की
गम तो साँसों का जुर्माना होता है

इश्क में सब खुश होकर सूली चढ़तें हैं
सारा ज़ब्र रज़ाकराना होता है

ज़ब्र----दमन
रज़ाकराना--स्वेच्छा से

Shakeel Jamali
तहे  जोड़ी है उम्र भर भावनाओ के लिबासो की 
करीने से रखा था मन की अलमारी में 
आज एक तह क्या खिसकाई 
कि हर तह फिसल आ  गिरी आभासों की 
खुल गई तहे  सब ढेर लग गया कदमो में 
इतना झुकि उठाने को कि उठ नहीं पाई
कुछ  तहे बोली कुछ  कह भी न पाई 
कुछ ने आँख मिलाई कुछ ने आँख चुराई 
कुछ तह मुस्काई कुछ थी एकदम  पथराई 
कुछ तहें आज भी   मेरी समझ नहीं आई 
कुछ सलवटे कभी नहीं निकली 
तहों बीचउनकी  मुंह चिढाती किकली 
हर बार तहे बदलती हूँ कि संभली रहे 
 निशान न पड़ें ,कीड़े न लगे , उमस में न गले 
आज सुबह सुबह सब लिबास रख दिए बाहर 
कि अब नहीं तहे लगाउगी न सलवटे गिनुंगी 
खाली कर दूंगी सब अलमारिया मन की 
कुछ नया सिलवाऊँगी पहनूंगी भूल जाउंगी 
दिल से नहीं लगाऊँगी कभी न तहे जमाऊँगी

सुनीता धारीवाल जांगिड

रविवार, 23 फ़रवरी 2020

अपना ही घर कोई जलाता है क्या 
अपनी ही मौत कोई बुलाता है क्या 
ये बवाल ये बवंडर ये  धुँआ ये  राख
 है सब क्षितिज की ओर 
बरसेगा अब निवेश तेजाब सा 
उगेगी फसल भाईचारे की कसैली सी 
लिखूंगी मैं भी कुछ यादें मटमैली सी

शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

मैं नदी हूँ मेरा बहना जरुरी है 
मेरा सब कुछ कहना जरुरी है 

बांध थे गिर्द  तो सूखने लगी थी 
बहती ही रहूँ कि भरना जरूरी है 

तपता सूरज  सुनसान जमीं 
भरे बादल सा तेरा मंडराना जरुरी है 

मैं हाथ खोल जब आस करूँ 
तेरा जम के बरस जाना जरूरी है
Sd

बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

हम भारत की नारी है
हम दुर्गा शेर सवारी है 
हम शक्ति हम सरस्वती 
हम सारे जग से न्यारी है  
हम पार्वती बन लास्य रमी
हम पुरस्कार अधिकारी है 
हम सेना में  रणचंडी है 
हम हर दुश्मन पे भारी है 
हम ताकत है हम जननी है 
हम से ये सृस्टि सारी है 
हम ऊंचे आकाश में भ्रमण करें 
हम मंगलयान  सवारी है 
हम देवी पीड़ा हरणी है 
हम हाथ तिरंगा धरणी है 
हम ताकत है हिंदुस्तान की 
हर हर महादेव ललकारी है 
हम भारत की सबला नारी है 
हम शक्ति रूप विस्तारी है
(हम काली मां रौद्र रूप धरती )
हम रौद्र रूप काली माई 
हम  पापियों की संहारी है 
हम वंदन करें भारत माँ का 
यह जन्मभूमि हमारी है 
हम भारत की नारी है
 हम भारत की नारी है 
सुनीता धरिवाल
हम यदि जन्म ले पाएंगी
तब ही रौनक बन पाएंगी 
ओ बाबुल तेरे  आंगन में 
हम नाचेंगी और गाएंगी 
 
गाती है हम गुनगुनाती है 
  खेतो में और  खलिहानों मे
पर्वत पर और  मैदानों में 
हम भी कलरव रच जाएंगी 
हम यदि जन्म ले पाएंगी 

हम ही तो है जो गाती है 
गोदी में ले कर  लोरीयाँ
हम वत्सल नाद सुनाती है 
हम ही तुम्हे सुलाती है 
माँ बन कर सृष्टि चलाएंगी
हम यदि जन्म ले पाएंगी 

हम ही तो हैं जो गाती है 
जच्चा और सोहर की कलियां 
हम बन्ना बन्नी गा गा कर 
हर देहरी रंग जमाती है 
रुदाली के भी वचन भरेंगी 
हम यदि जन्म ले पाएंगी

हम ही तो है जो गाती है 
 मंदिर मंदिर भजन आरती 
घर मे भी नाद बजाती है 
गुरुद्वारे में पाठ करेगीं 
हम भवसागर तर जाएंगी 
हम यदि जन्म ले पाएंगी 

हम ही तो है जो पीड़ा में भी 
गाना कहाँ छोड़ती है 
हम तड़पी  बिरहा गीतों में 
हम दुख को सदा मोड़ती है 
हम प्रेम श्रंगार सब गाएंगी 
हम यदि जन्म ले पाएंगी 

न हिंसा हो न उत्पीड़न हो 
न हत्या हो न तेजाब डले 
न हो  जोर जबरदस्ती हम से 
न खरीदी बेची जाएंगी 
हम दुनिया की बुरी नजर से 
जब बच कर रह पाएंगी 
हम तब ही तेरे आंगन में 
चिडीया सी चहकती पाएंगी 
हम गाएंगी गुनगुनाएँगी 
हम जग की रौनक बन जाएंगी 
हम यदि जन्म ले पाएंगी 

सुनीता धारीवाल

सोमवार, 10 फ़रवरी 2020

कितनी बार फिसले

 मुट्ठी से मेरी  रेत की तरह

 लम्हे जो बहुत अजीज थे 

रिश्ते जो बहुत करीब थे 

भला कहाँ खरीद पाए  सब 

हम भी कितने गरीब थे 

डूबे नहीं वो कभी मेरे  संग 

जितने  भी मेरे हबीब थे 

कितनी ही बार फिसले 
मेरी आँख से 

अनकहे शब्द मेरे 

जो कह दिए जाने  के करीब थे 

शेष फिर 
सुनीता धारीवाल

रविवार, 2 फ़रवरी 2020

हाथों हाथ पढ़ ही डालिेये  ये पोस्ट पोस्ट 

कोई हाथ मल रहा है 
कोई हाथ दिखा रहा है 
कोई हाथ कटवा रहा है 
कोई हाथ  जोड़ रहा है 
कोई हाथ तोड़ रहा है 
कोई हाथ हिला रहा है 
कोई हाथ मिला रहा है 
कोई हाथ मांग रहा है 
कोई हाथ  मांज रहा है 
 कोई हाथ  मार रहा है 
कोई हाथ सेंक रहा है 
कोई हाथ फेर रहा है 
कोई हाथ पकड़ रहा हैं 
कोई हाथ हटा रहा है 
कोई हाथ जला रहा है 
कोई  किसी का  हाथ देख  रहा है
किसी के हाथ कुछ लग नहीं रहा 
किसी के हाथ बहुत कुछ लग गया 
किसी के  हाथ में कुछ नहीं रहा 
किसी के हाथ में बहुत कुछ आ गया 
किसी के हाथ में रेखा नहीं नहीं 
किसी के हाथ छिल गए 
कोई बस हाथ की खा रहा है 
आप भी जोड़ दीजिए बाकी -----
मुझे पता है आपके हाथ कहाँ निचले रहने वाले है आप भी  हाथ आजमाओगे ज़रूर 

देखा कितनी  तरह से हिंदी भाषा में हाथ शब्द का उपयोग  करते है
दीवारे खाली है 
उनकी जो चले गए ।
अब कोई नहीं झांकता 
उन profile में 
जो कभी रौनक बन के
 हंसती गुनगुनाती रहती थी 
क्या खाया क्या पीया 
कया पाया क्या खोया 
सब कुछ तो साँझा करते थे 
अब नहीं हैं वो