गुरुवार, 10 नवंबर 2016

wtv टीम ने किया नारी कलम गोष्ठी का सफल आयोजन कुरुक्षेत्र में 10 दिसम्बर २०१६








आज दिनांक 10-11-16 को कुरुक्षेत्र में दूसरी वूमन टीवी की गोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। गौरतलब है सुनीता धारीवाल जांगिड़ जी के निर्देशन में चल रहा वूमन टीवी चैनल महिलाओं का महिलाओं के लिए और महिलाओं द्वारा संचालित वो ऑनलाइन चैनल हैं जो पूर्णतः महिलाओं के सर्वांगीण हित के लिए कार्य कर रहा है।
​wtv के कुरुक्षेत्र जिले की  coordinator ​और हरियाणा की सचिव गायत्री कौशल ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता सुमिता शर्मा जी 
​ने की  ​
। बहूमुखी प्रतिभा की धनी शालिनी शर्मा जी ने मंच संचालन का कार्य किया। भले ही अपनी डायरियों में अपने मन की भाव उकेरने वाली महिलायें हों या समाज में अपना लोहा मनवा चुकी महिलायें हों, सभी ने बढ़-चढ़ कर कार्यक्रम में अपना उत्साह दिखाया और कविता पाठ किया। इनमें गायित्री कौशल जी, अन्नपूर्णा शर्मा जी, अनीता शर्मा जी, सरोज रानी जी, मीरा गौतम जी, डॉ ममता जी, मोनिका भारद्वाज, कंचन रानी, ज्योति खन्ना जी , कविता कश्यप, ने प्रमुखत कविता पाठ किया। कविता पाठ की बेमिसाल कड़ियों का आगाज डॉ ममता जी ने अपनी कविता से किया जिसमें उन्होंने सभी नारी मन की बात कहते हुए सभी को भावविभोर कर दिया । अन्नपूर्णा शर्मा जी ने महिलाओं के दर्द उकेरते हुए उसे स्वयंसिद्धा के रूप में प्रस्तुत किया। कंचन ने जहाँ गीत की माद्यम से समकालिक आधुनिकता पर व्यंग्य किया वहीं कविता ने अपनी कविता से नारी के वर्तमान स्थिति से अवगत करवाया। मोनिका भारद्वाज ने माहौल को हल्का करते हुए प्रेम को प्रेत और बेताल की संज्ञा देते हुए एक अलग प्रत्यय की संकल्पना की. साथ ही साथ प्रेम के छोटे-छोटे मुक्तकों मसलन 'बनने दो गवाह हर हरे दरखत और हरी पत्तियों को, कैसे झरते हैं फूल इन आँखों से'', से माहौल को सराबोर कर दिया। इसी बीच सुनीता धारीवाल जी द्वारा उनकी कविता कैक्टस, जो महिलाओं के यौनांग के बिम्ब को लेकर प्रस्तुत की गयी, ने सबको झकझोर कर रख दिया। बीच बीच में शालिनी शर्मा जी ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत किये गए मुक्तक और शेरों ने सबका मन मोह लिया। सुमिता शर्मा जी की कविता, ''वक़्त रहते निखार गए हम, खा के ठोकर सुधर गए हम'' के माद्यम से लोगो की दोगली मानसिकता पर कटाक्ष किया गया। जहाँ गायित्री कौशल जी किशोरावस्था की संकल्पना पर कुछ यूँ कहती दिखी,"वो पलट के इक निगाह देखना उसका,पल भर में वो मेरा करार खो देना। डॉ मंजीत की राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत कविता और वहीं ज्योति खन्ना ने दहेज और भ्रूण हत्या के दर्द से झरते शब्दों से माहौल को विचारोतेजक बना दिया। महिलाओं को प्रेरित करती हुई ये गोष्ठी न केवल उनकी जिजीविषा को सलाम करती हुई नजर आई वहीं महिलाओं को एक मंच पर लाने का जरिया भी बनी।
इस लिंक को खोले अधिक तस्वीरें देखने के लिए -नारी कलम गोष्ठी द्वितीय कुरुक्षेत्र में आयोजित 

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