शनिवार, 5 नवंबर 2016

कुछ दीयों की माटी हो गयी सरहद पर 
माटी में मेरी दिया आँखों का तेल से दिल में जला है मेरे 
यह दिवाली सरहद के दियो के नाम

1 टिप्पणी:

  1. सरहद पर दीयों की जो माटी होती है उसी माटी से फिर दीये बन जाते हैं और दीये हैं कि खत्म होने का नाम ही नहीं लेते ।
    दीवाली पर शहीदों को आपने जो प्रणाम भेजा स्तुत्य है सुनीता जी

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