रविवार, 12 दिसंबर 2021

सोने के फूलों का मौसम#लदाऊदी उत्सव चण्डीगढ़



दोस्तो क्या आप जानते हैं कि सोने की चिड़िया कहलाने वाले भारत में  सोने के फ़ूलो की बागबानी भी हुआ करती थी और वर्तमान समय में भी इनकी बागबानी होती है यह सवर्ण  पुष्प साल में एक ही बार नवम्बर से फरवरी तक पल्लवित होते हैं ।सोने के फूलों की खेती ..? अरे आप तो चौंक गए ..चौकिये मत ..बस   सुनिए हम आपको बताते हैं कि सेवंती यानी गुलदाऊदी के फूलों को  इंडियन क्रिस्स्थमम कहा जाता है क्रिस्थमम का अर्थ है सोने का फूल और इंडियन का मतलब भारतीय है ही ।तो यह हुआ सोने का फूल और आजकल भारत के खूबसूरत शहर चण्डीगढ़ की खूबसूरती को चटकीले रंगों के सेवंती फूलों ने चार चांद लगाये हुए हैं सेवंती यानी गुलदाऊदी के रंग बिरंगे बेहद  फूलों को निहारने के लिए आपको आना होगा सेक्टर 33 स्तिथ टेरेस गार्डन में जहां पर  गुलदाऊदी उत्सव अपने शबाब पर है और इस उत्सव आज अंतिम दिन है ।चंडीगढ़ नगर निगम द्वारा आयोजित तीन दिवसीय  गुलदाऊदी उत्सव का औपचारिक शुभारंभ  चंडीगढ़ प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल ने किया एडवाइजर अपनी पत्नी के साथ इस शो में पहुंचे थे। वहीं, नगर निगम कमिश्नर आनिंदिता मित्रा और अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।यह उत्सव शुक्रवार दस तारीख को शुरू हुआ और आज 12 को इसका समापन शाम को हो जाएगा ।आज हजारों लोग फूलों की इस मनोरम छटा को देखने पँहुच रहे हैं । चंडीगढ़ नगर निगम में काम करने वाले  100 से  ज्यादा  कुशल मालियों ने वर्ष भर मेहनत कर के  गुलदाऊदी की लगभग 269 किस्मो को विकसित किया है और प्रदर्शित किया है ।फूलों से बनी मनोरम आकृतियां और प्रदर्शनियां जन समूह को आकर्षित कर रही हैं ।चलिए अब हम आपको गोल्डन फ्लावर के बारे में विस्तार से बताएंगे।क्रिसथमम , गुलदाऊदी, सेवन्ती, शतपत्री ,गुलदावरी, अक्करकरम् , चामुन्ति , बागौर , गेन्दी चेवन्ती , शेवटी ,चन्द्रमुखी , नसरीन नाम से जाने वाले इस खूबसूरत सजावटी पुष्प को सर्दियों की रानी भी कहा जाता है यह ऐस्टरेसी (Asteraceae) कुल का पौधा है और इसकी मुख्यतः तीस प्रजातियां है और फूलों की  लगभग 400 से ज्यादा किस्में  उपलब्ध है ।यह फूल  पूर्वी एशिया और पूर्वोत्तर यूरोप के मूल निवासी हैं। अधिकांश प्रजातियां पूर्वी एशिया से निकलती हैं और विविधता का केंद्र चीन में है। अनगिनत बागवानी किस्में और किस्में मौजूद हैं।गुलदाउदी की खेती हजारों वर्ष पूर्व एशिया के भारत तथा चीन वाले भू-भाग से होते हुए इंग्लैंड, जापान, अमेरिका एवं विश्व के अन्य भागों में पहुंच गई है।भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में  सदियों  से गुलदाऊदी ने अपना स्थाई निवास बनाया हुआ है ।इसकी खूबसूरती ने दुनिया भर को आकर्षित किया है और अब अनेक देशों में इसकी बागबानी की जाती है।चलिए इस फूल से जुड़ी  एक  रोचक जानकारी दे दें आपको -क्या आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर एक फूल भी है? यह फूल है गुलदाउदी (chrysanthemum in hindi) का। आपको याद करवा दें कि वर्ष  2017 में भारत के  प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने इस्रायल का दौरा किया और इस दौरान वे इज़राइल की प्रमुख फूलों की खेती करने वाले फार्म को देखने भी गए।वहां गुलदाऊदी की  तेजी से विकसित होने वाली नई किस्म  का नाम मोदी रखा गया ।देंजिगर  फार्म, मध्य इज़राइल में, यरूशलेम से लगभग 56 किमी दूर, मोशव मिश्मार हाशिवा में स्थित है  यहां पर 80,000 वर्ग मीटर के अत्याधुनिक ग्रीनहाउस हैं जो पौधों के प्रजनन में विशेषज्ञता रखते हैं। यहीं पर ही गुलदाऊदी की एक नई किस्म का नामकरण " मोदी " कर दिया  गया ।अब सम्भव है कि मोदी अन्य फूलों संग  के गुलदस्तों  में चहक महक रहे हों ।भई हम भारतीय तो चाहेंगे ही कि मोदी फूल का अंतरास्ट्रीय भाव  चढ़ा हुआ ही रहे ।फूलों का नामकरण यहीं नही रुकता चंडीगढ़ में तो महात्मा गांधी ,कस्तूरबा गांधी ,मिस इंडिया   ,नामक फूल भी खिलखिला कर  खिल मिल हुए जा रहे हैं  यह बड़े बड़े नाम सभी को अपनी ओर बुला रहे हैं खैर चलो आगे बढ़ते हैं आपको दिखाते है कुछ बेसिक किस्मो की जानकारी देते है ।सबसे पहले आती है इनकर्व्ड’, incurved यानी इसकी सारी पंखुड़ियां भीतर की ओर मुड़ी हुई हैं यह बड़ा सा फूल बड़ी सी गेंद की तरह दिखता है यह  एक पौधे पर एक ही फूल होता है। अलग अलग रंगों में यह फूल मिल जाता है दूसरा है इंटरमीडिएट जिस में फूल थोड़ा  आधा खुला हुआ और आधा अंदर की ओर  बंद होता है और यह गोल  आकार का होता है  अगला फूल है रिफ्लैक्स्ड फूल -इसकी पंखुड़ियां बाहर की ओर बिखरी होती है बड़ा बेखौफ सा बाहें पसार कर सभी का स्वागत करता यह फूल सभी को प्रिय लगता है एक और किस्म है जिसका नाम है  स्पून -इसे नजदीक से देखें तो इसकी पंखुड़ियां चम्मच के जैसी दिखती हैं लम्बी सी डंडी और फिर अंत मे कटोरी नुमा आकार की पत्तियां बिल्कुल चम्मच की भांति दिखाई पड़ती है और अगली किस्म का नाम है  स्पाइडर जो जाहिर है कि यह मकड़ी की तरह दिखती भी है  और अब देखते हैं ये हैं Pompom जिसे हम हिंदी में फुन्दे कहा जाता है जैसे हम धागों का एक छोटा सा गुच्छा बनाते है और कपड़ो पर लटकन की तरह इस्तेमाल करते हैं कुछ इसी तरह का दिखता है यह पोम्पोमये है बटन ।सच मे बटन के समान बहुत ही छोटे छोटे फूलों को देखना भी सुखकर लगता है  गुलदाऊदी के फूल अनेक ख़ूबसूरत चटख  रंगों में मिलते हैं ।लोग अक्सर अपने बागीचों में या गमलों में इसे लगाते हैं। सच बात तो यह है कि गुलदाउदी केवल शोभा बढ़ाने वाला फूल नहीं हैं बल्कि गुलदाउदी का इस्तेमाल औषधीय कार्यों के लिए भी किया जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गुलदाउदी का उपयोग कर आप अपने या किसी के भी स्वास्थ्य भी ठीक रख सकते हैं।अलग अलग बीमारियों में इसकी जड़ और फूल का उपयोग दवा के रूप में भी किया जाता है ।और चीन और अन्य देशों में फ्लेवर चाय की तरह भी इसका  इस्तेमाल किया जाता है गुलदाऊदी को फ्लोरिस्ट डेजी और हार्डी गार्डन मॉम के नाम से भी जाना जाता है। गुलाबी रंग के खूबसूरत फूल वाली यह किस्म घर की हवा से बेंजीन, फार्मेल्डिहाइड, ड्राइक्लोरोएथिलिन, जाइलिन और अमोनिया के प्रदूषण को करती है।नगर निगम के बागबानी विभाग के अभियंता के पी सिंह ने बताया कि इस बार गुलदाऊदी उत्सव में इस बार 269 किस्में प्रदर्शित की गई है कॅरोना की तृतीय लहर की आशंका के चलते बाहर प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता के लिए बाहर से प्रतिभागियों को नियंत्रित किया गया है ।नगर निगम पिछले 32  वर्षों से इस उत्सव का सफलता पूर्ण आयोजन कर रहा है इस बार यह तेतीसवां आयोजन है ।पूरे भारत में  यह अकेला ही ऐसा उत्सव है जो गुलदाऊदी के प्रदर्शन और प्रचार प्रसार के  लिये ही हर साल मनाया  जाता है ।यह बात तो माननी पड़ेगी कि फूल मेलों के आयोजन से ही हम उन मालियों के अथक परिश्रम के बारे में जान पाते हैं जो वर्ष भर इसकी तैयारी करते हैं और जनता के सामने फूलों से बनी अनुपम कृतियाँ प्रदर्शित करते प हैं ।हम उन सब मालियों को सलाम करते है जो  कुछ दिन के  फूल देखने के लिए वर्ष भर मेहनत करते हैं  वे दिल से इन सोने के फूलों की देखभाल करते है हम दिल से उन्हें शुभकामनाएं देते हैं  सुनीता धारीवाल 


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