गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

जब जिंदगी झटके दे तो क्या करें

जब जिंदगी में जोर का झटका जोर से ही लगे -अचानक आप के पैरों तले बिछा कार्पेट ..बिछाने वाला ही निकाल ले ...और आप औंधे मुंह गिर पड़े ..तो क्या होता है ..जिंदगी यही होती है जिंदगी रूमानी नही होती ..यह साहस से कठिन चोटियों पर चढ़ने जैसी है ..यह थकाती है रुलाती है हंसाती है .. फौज के किसी मोर्चे की तरह है ..सब अपने अपने साधनों से लैस डटे हुए है और लड़ रहे हैं।दुश्मन का हमला अप्रत्याशित है किधर से होगा कुछ नही पता ..बावजूद सब तैयारी के अचानक हमले होते रहते है ..जिंदगी ऐसी ही है ..यह सच का सामना जैसी है 

सभी के जीवन मे ऐसा होता है मेरे जीवन मे अनेको बार हुआ ।मैं फिर से कपड़े झाड़ कर खड़ी हुई जूती पहनी ली ।
हर बार कुछ न कुछ अप्रत्याशित होता है जीवन मे जब हम ने सोचा नही होता ।
जैसे हम कोई काम करते हैं कोई परियोजना शुरू करते हैं तो हम उस पर अच्छे से रिसर्च करते हैं और उसकी मुश्किलों और सफलता का दृश्य भी देख लेते हैं तो दिमागी रूप से तैयार होते हैं प्लान ABC करते हैं जब व्यापार या उद्यम जैसी बात होती है ।परंतु इन सब के बीच अचानक जिस व्यक्ति पर सारा दारोमदार था वह दुनिया छोड़ जाए ।आपके घर परिवार में वही दुनिया छोड़ दे जिसके लिए आप वह सब कर कर रहे होते हैं ।ऐसे और भी कई वाकये होते हैं ।एक ही समय मे आर्थिक सामाजिक भावनात्मक परिवारिक झटके लग जाते है चारो तरफ से भी हम घिर जाते है और सामने बड़ा शून्य दिखता है मनोबल घरती पर ।काम करने या जीने का भी कोई कारण नही बचता हो तब भी उठ खड़े ही होना होता है ।
मैंने इन बातों पर ध्यान दिया ..
1
जिंदगी मेरी है और यह सब जो हो रहा है वह अनुभव हैं जो मुझे औरों से ज्यादा  सशक्त बना रहे हैं ।क्योंकि उनके पास जूझने का अवसर आया ही नही 

कुछ भी न हासिल करते हुए तो मैंने हासिल किया वह अनुभव था और अनुभव करना  सब के बस का नही ।

3 कुछ भी अनाअपेक्षित घट
जाने पर मेरा दिमाग नुकसान को बस एक नजर देखता है ।और क्यों हुआ इस पर दिमाग लगाती ही नही अपने दिमाग को केंद्रित करती हूं कि यह ठीक कैसे होगा ।इस पर कैसे पार पाया जा सकता है ।

4 भावनात्मक छल कपट को मैंने यूँ सहन कर लिया कि इंसान अकेला आता है अकेला जाता यह सब तो जिंदगी की एक रसता  को खत्म करने आये थे ।कुछ वक्त जो अच्छा बीता उनके साथ उसे याद कर लिया  ।बुरे अनुभवों के फोल्डर को डंप में डाल दिया ।बार बार ब्रेन को कमांड दी कि ट्रैश को भी खाली ही रखना है उनको वापिस नही लाना है 

5 घोखा करने वाला पता नही किन परिस्थितियों वश ऐसा कर गया ।परंतु उस के अंतर्मन को ग्लानि होगी कभी न कभी ।मुझे नही ।मुझे इस ग्लानि का बोझ नही ढोना पड़ रहा है ।मुझे नुकसान हुआ है और पीड़ा का बीज उसके पास  है

6 कोई भी लॉजिक लगाओ खुद को समझाओ कि जिंदगी ऐसी ही होती है 

7 ध्यान प्राणायाम मेडिटेशन  पर  समय लगाने से अधिक स्वच्छ  हवा इनहेल करने से बुध्दि सही दिशा में काम करती है ।और नियंत्रण में आने लगते है इमोशन्स ।यह अति दुःख की घड़ी में किया गया मेरा व्यक्तिगत अभ्यास है जो 100 प्रतिशत कारगर है ।

8 गीता का प्रवचन सामने टांग लो ...जो तेरे पास नही है वह कभी तेरा था ही नही ..टाइप्स आते जाते नजर पडेगी सही रहता है 

मेरे जीवन मे कितने ही  प्रसंग है और हर बार नया है और हर नये तरह के हानि अनुभव से निकलने का रास्ते भी अलग थे ।

हर वाकये की एक लंबी पोस्ट बनेगी सो कट शार्ट यही है ।जब जिंदगी में कुछ भी ऐसा हो जाये तो सोचना यही होता है निकला कैसे जाए दोबारा खड़े कैसे हों ।
गिर जाए तो उसी जगह लेट जाना नही होता उठ कर  घिसट कर चलना फिर लड़खड़ाना होता है और  तब कोई न कोई जरूर आता है कि देखो कैसे लड़खड़ा रहा है पर देख आगे रहा उसको कहीं पंहुचना है तो कोई आ कर कहता है चलो कुछ दूर मेरा कंधा पर अपना एक हाथ रख लो ।और हम ठीक भी हो जाते है ।

अपयश भी आता है जिंदगी में एक  झूटी खबर जिंदगी बदल देती है ऐसी  खबर फ्रंट पेज पर कई कालम घेरती है  पर और उसका कोरिजेंडेम लास्ट पेज पर दो लाइन का होता है ।उसको कोई नही देखता ।आप कॉरपोरेट वर्ल्ड से लड़ नही सकते ।उनको सच का भान होता है तो वे खंडन छाप देते है ।उन दो लाइनों को हम उतनी दुनिया तक कभी नही ले जा पाते जितनी फ्रंट पेज की खबर ने असर किया था ।ऐसे समय मे आपको सिर उठा कर के खड़े रहना होता है ।लोगों से भागना नही होता सामना करना होता है 
हार का सम्मान करना होता है क्योंकि वह भी कर्म करने  के कारण  आई है कहीं न कहीं चूक तो हम से ही हुई है ।
बस जिंदगी के प्रति उत्साह बनाये रखना है ।अपनी जिंदगी को खुद के बाहर से देखना है  और हंसना है ।और कुछ देर रोया फिर मुहँ धोया चल पड़ो बस
Sd

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