शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

पागलपन वाला प्यार 
वो तो मुझे हुआ था 
उस ने तो बस 
छुआ था मुझे 
मेरे आग्रह करने पर 
उसके पैरों में जंजीरे थी 
और मैं 
उड़ना चाहती थी 
उसका हाथ पकड़ कर 
सात आसमानों में 
जो हो नही सकता था 
उसे जंजीरों से प्यार था 
और मुझे उस से 
वह वहीं रहा 
मैं आगे बढ़ गई 
थोड़ी सी वहीं रह गई 
उसी के पास 
बाकी जो थी 
वह चल दी थी 
भीड़ के पीछे 
कहीं भी नही जाने को
बस चल रही थी 
रेंगते हुए 
उड़ने का ख्याल भी 
पांव के छालों में 
घुल कर पीड़ा देता है 
अब नही होता 
उड़ना चलना और रेंगना 
अब तो बस बैठ गई हूं 
सड़क  के एक किनारे 
सड़क चल रही है 
मैं नही

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें