मंगलवार, 28 अगस्त 2018

अगला जन्म फिर हो न हो

अगले जन्म का क्या भरोसा
अगला जन्म फिर  हो न हो

अगले जन्म फिर तुम से मिलना
अगले जन्म में हो  न हो

आंखों में ख्वाब तुम्हारे पलना
अगले जन्म फिर  हो न हो

दीवानी हो तुम से मिलना
अगले जन्म फिर  हो न हो

मांग तेरे सिंदूर से रंगना
अगले जन्म फिर हो न हो

भरी बजरिया हाथ पकड़ना
अगले जन्म फिर हो न हो

तन भाटी तेरे  बीज का पकना
अगले जन्म फिर हो न हो

जग में तेरी हो के रहना
अगले जन्म फिर हो न हो

तेरे घर मे तेरी हो बसना
अगले जन्म फिर  हो न हो

तेरी संग हंसना और संग रोना
अगले जन्म फिर हो न हो

प्रेम तेरे की चाकर बनना
अगले जन्म फिर हो न हो

आ चल कर ले लगन सगाई
अगले जन्म की बाट हो क्यूं

आ चल सजना ब्याह ले मुझको
न बाराती  न बाजा हो

चल तू मुकलाई  ले जा मुझ को
ज्यूँ भव सागर पार उतरना हो

आ चल कोख हरी कर मेरी
मैं बाट मुक़्क़द्दर देखूं क्यूँ 

मैं भुक्त उम्र शमशान में जाऊँ
हाथों में तेरी मेहंदी हो

जो कही सभी मृग तृष्णा मेरी
मेरा सेहरा बीच बिलखना हो

मैं प्यार तेरे में जीती जाऊँ
इस जन्म सनम बस इतना हो

जब मिलो मुझे बस गले लगाना
मेरी रूह को इतनी  राहत हो

तुम  रूह को मेरी गिरवी रख लो
तेरा  प्रेम कर्ज कुछ  चुकता हो

तू दुनिया में मैं तुझ में सजना
दुनिया तज तुझ में रहना हो

ये बातें है बातें सारी धरी रहेंगी
तेरे प्यार में जीना मरना हो

कुछ रास्ते कहीं नही पंहुचते

कुछ रास्ते कहीं नहीं पहुँचते
बस वह होते ज़रूर हैं
थोड़ी थोड़ी दूरी पर
रास्तों के  किनारों पर
लिखी होती है चेतावनियां
धीरे चलो -
आगे तीखा मोड़ है
यह सफर आखिरी हो सकता है
घर चलिए
कोई आपका इंतज़ार कर रहा है 
रास्ता फिसलन भरा है
ध्यान से आगे बढ़िए
पर फिर भी चलना ही होता है
सुनसान सड़क पर
भीतर का शोर दौड़ाता है
कहीं न पहुँचने के लिए भी
चलना ही होता है
मर  जाने की हद से
फिर जीने की हद तक का रोमांच
फिर  फिर ले जाता है
उन्ही रास्तों पर
जो कहीं नहीं पहुँचते  -
बस रास्ते होते है
सांस से सांस तक
किलकारी से खामोश हो जाने तक
हम रेंगतें है दौड़ते है इन्ही रास्तों पर
ये कहीं नही जाते
हमे ले जाते है हमारी यात्रा पर
suneeta dhariwal

हासिल होना

हासिल करना होता क्या है
तुमसे मैंने सीखा है

आंखे छलकें -आंखे पढ़ कर
हासिल होना होता है

हूक उठे इधर -हो उधर बेचैनी
हासिल होना होता है

बेबस आंखें हर सपना तज दे
हासिल होना होता है

देह गंध क्षणिक ताउम्र  संभाले
हासिल होना होता है

उम्मीद बचे न -वो फिर भी आए
हासिल होना होता है

खुद वो खुद से बागी हो जाए
हासिल होना होता है

वो रूह से ही हर पल बतियाये
हासिल होना होता है

वो देखे और आंखे भर ले
हासिल होना होता है

हर मुश्किल पहले मुझे सुनाए
हासिल होना होता है

वो गले लगे और टूट के रोए
हासिल होना होता है

वो खोजे मुझ को पाए खुद में
हासिल होना होता है
@SD

रविवार, 12 अगस्त 2018

सही और गलत के परे --
एक अरसे बाद प्रेम कविता लिखी प्रस्तुत है -

उस पार हो आना दोस्तों एक बार
सही और गलत के परे भी है एक पुल
भावावेगो के शहतीरों पर बना है जो
साहस के खम्बों पर खड़ा है जो
उस पुल के नीचे से
प्रेम का लबालब दरिया
बहता है कुलांचे भरता
मादक शोख हवाएँ बहती है उस पर
नैसर्गिक है स्वाभाविक है रोमांचक है
जरा जा कर तो देखो
धड़कनों के बढ़ते ही
थरथराने लगता है वो पुल
पर टूटता नहीं
सर्वत्र काया जल
सब होगा उथल पुथल
पर किनारे लांघता नहीं
वहां संगीत है साँसों का
धड़कनों की ताल बेमिसाल है
सुनना जरूर मेरे दोस्तों
उस पुल के पल दुनिया भुला देने में माहिर है
अस्तित्व विहीन हो जाओगे
कुछ पल के लिए ही सही
बस आत्मा रह जाओगे
प्रेम की पराकाष्ठा में
मोक्ष सा पा जाओगे
समाहित होना नश्वर से हो कर
अध्यात्म रस पा जाओगे
चिर आनंद में ईश्वर कैसे है रहता
उस पल वही अनुभव पा जाओगे
मत देर करना मत सोचना मेरे दोस्तों
यदि दिखने लगे कोई ऐसा पुल
तुरंत चले जाना उस पर -सही गलत के परे
ध्यान रखना पुल को बनने से पहले काटना
दुनिआ की आदत में शुमार है
अन्यथा मेरी तरह कविता ही लिखने लग जाओगे
-- सुनीता धारीवाल