यह बड़ा असामान्य मानसिक व्यवहार है मेरा दिमाग एक ही समय मे कई सतहो पर सक्रिय रहता है हर सतह स्वतंत्र काम करती है और तेजी से ।विचार बोध अति सक्रिय होता है conciuos माइंड और subconcious दोनो एक ही समय मे सक्रिय रहते है और sub concious की भी कई परते एक ही समय मे सक्रिय रहती है मैं किसी भी micro सेकंड में इन सब मे खुद को शिफ्ट कर लेती हूं अभी जो संसार मे हो रहा है दिख रहा है उस मे होती हूँ दूसरे पल subconcious की यात्रा शुरू ।न सामने कुछ दिखता है न सुनता है सामने वाले को पता ही नही चलता मैं क्या कह सुन रही हूं हो सकता है मैंने उसकी बात सुनी ही न हो अनेक बार होता है ।भीतरी तहों में विचरण अच्छा लगता है पास्ट से बात कर रही हूं या किसी कल्पना से बात में मग्न होती हूं पर सामान्य नही होती ।ऐसी हो चुकी हूं मैं
सभी को लगता है मैं ठीक हूँ मस्त हु हो सकता है उसी वक्त मैं किसी पीड़ा भरी लेयर में दर्द से लबरेज महसूस कर रही होती हूँ । हां मगर सब निचली तहों में कहीं भी उत्साह या बहुत खुशी नही कभी महसूस हुई ये सब सिर्फ concious लेयर में ही महसूस होता है ।किसी तह में तो सिर्फ अंधेरा किसी मे खामोशी किसी में जल्दी होती है उम्र पूरी करने की किसी मे मैं यात्रा पर होती हु अजनबी से ब्रह्मांड में ।अजीब सा अनुभव है शायद सभी को यह नही होता होगा ।फाइनली मेरे दिमाग मे कोई लोचा जरूर है बिगाड है कोई ।जितनी भी मैंने श्रेष्ठ रचनाएं या क्रिएटिव काम किये है वो भी इन निचली तहों की देन है
वरिष्ठ सामाजिक चिंतक व प्रेरक सुनीता धारीवाल जांगिड के लिखे सरल सहज रोचक- संस्मरण ,सामाजिक उपयोगिता के ,स्त्री विमर्श के लेख व् कवितायेँ - कभी कभी बस कुछ गैर जरूरी बोये बीजों पर से मिट्टी हटा रही हूँ बस इतना कर रही हूँ - हर छुपे हुए- गहरे अंधेरो में पनपनते हुए- आज के दौर में गैर जरूरी रस्मो रिवाजों के बीजों को और एक दूसरे का दलन करने वाली नकारात्मक सोच को पनपने से रोक लेना चाहती हूँ और उस सोच की फसल का नुक्सान कर रही हूँ लिख लिख कर
शुक्रवार, 27 अक्तूबर 2017
मैं कभी कभी # यात्रा
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें