रविवार, 23 अप्रैल 2017

राह

पहले इस दुनिया मे रहती थी
अब मैं तुम्हारी दुनिया मे रहती हूँ
वो दुनिया भी बेगानी थी
दुनिया तेरी भी बेगानी है
तेरी सूरत सुहानी है
तेरा जलवा लासानी है
तुझे देखा तो मन झूमा
कितनी दिलकश नादानी है
क्यूं तुम आंखों से डरते हो
ये कहती हर कहानी है
समझती तो मैं सब कुछ हूँ
कब कितनी राह बनानी है
एक बोझा तेरे सर पर है
एक गठड़ी मैंने उठानी है
तेरी अपनी कहानी है
मेरी अपनी कहानी है
न रुकना तेरे बस में है
न राह मैने छुड़ानी है
गिनो तुम पाँव के छाले
न गिनती कम तुम्हारी है
न गिनती कम हमारी है
खामोशी मरहम नही होती
फिर क्यों तुम ने अपनानी है
न बातें ही कोई मरहम हैं
क्यों मैंने बात बढ़ानी है
दो पल बैठो अनजाने हो
खाली ये कहाँ कहानी है
तुम्हे अपनी सुनानी है
तुम्हारी सुन के जानी है
है कोई एक जो जग में ठहरा
क्यों मैने जगह बनानी है
मुझे बस रूह में रख ले
वही तो साथ जानी है
यादों में मुझ को रख लेना
वहीं सब रस्मे निभानी है
न दुनिया मेरे मतलब की
यहां बस रात बितानी है
जाओ  तुम भी चलूं मै भी
राह है मुकद्दर से आबंटित
तुम ने भी चल के पानी है
मैने भी चल के जानी है

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