गुरुवार, 6 अक्तूबर 2016

सफ़र सिरफिरा है

सफर सिरफिरा है
पगडण्डियां  नहीं है  
रास्ते चुन  रहा है
बेआवाज़ मंजिलें है
बस शोर सुन रहा है
सफर सिरफिरा है
चल सरक सरक रहा है
नई राहे चुन रहा है
मतवाला है अकेला है
दिशा से रिश्ते बुन रहा है
सफर सिरफिरा है
घूमे है  गोल मोल सा 
खुद अपना सर धुन रहा है
सफर सिरफिरा है
बन के मेरा हमसफ़र ये
कांटे राह के चुन रहा है
ये सफर सिरफिरा है
जैसे मैं भी सिरफिरा हूँ
चलो रोक से समय को
मेरे सामने उड़ रहा है ।
ये सफर सिरफिरा है ।
मैंने सर पे रख लिया है
मेरे ही सर चढ़ गया है ।
ये मेरा सफर सिरफिरा है
सुनीता धारीवाल

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