गुरुवार, 6 अक्तूबर 2016

गजल भी हो जायेगी

प्यार हो जायेगा तो ग़ज़ल भी हो जायेगी
सूखी दिल की धरती भी सजल हो जायेगी

कोई दीखता नहीं वीरान बस्ती में दिया उठाये 
कोई मिल जायेगा तो रौशनी भी हो जायेगी

तरंगें रूह की टकराती नहीं किसी की  रूह से
कहीं भिड़ी  तो साँस ये तूफ़ान सी हो जाएँगी

कोशिश बहुत की कि लिखूं ग़ज़ल कोई गाने वाली
न कोई आएगा न कोई ग़ज़ल ही बन पायेगी

नकली तो कभी कुछ कहा नहीं जाता मुझसे
सोच भी लुंगी तो दुनिया को खबर हो जायेगी

सुनीता धारीवाल जांगिड़

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