मंगलवार, 26 जून 2018

कोथली

(कोथली -मेरी बेटी के लिए कुछ भाव शब्द )

देखो वो
तुम्हारा भाई
सावन की गीली हवाओं में है
बरसने को छटपटाती घटाओं में है
वो
हरियाली के हर हरे  रंग में है
फूलो पे तितली के ढंग में है
वो
घेवर की महक
चिड़िया की चहक में है
चूड़ी की खनक
पायल की छनक में है 
वो
पतनाले की गुड़िया में है 
खट्टी इमली की पुड़िया में है
देख पगली बेटी
कहाँ नहीं है तेरा भाई
सावन कोथली लिए
पहुँच  तो गया है
तेरी आँखों के कोरो में
आ बैठ  गया है
चल उठ पगली 
दो बाते कर लें
सावन में चला आया है
यादों की पिटारी खोल ज़रा
देख सब है उसमे भरा
बचपन से जवानी तक
सब कुछ है
तुम्हारे झगड़े तुम्हारा प्रेम
तुम्हारा विस्वास तुम्हारी आस
सब कुछ ज्यूँ का त्युं है
बस वो तुम्हारी सास से
अब नहीं बतियाता
बेतकलुफ़्फ़्
पर तुमसे मिलने आता है
हर सावन
और इस बार भी आया है
सावन की  भारी सी कोथली 
उसने तुम्हारे दिल पर ला रख दी है
ताकि तुम फटो किसी बादल सी
इस बरस भी इस सावन में

सुनीता धारीवाल

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