बुधवार, 14 जून 2017

कहाँ छुपे हो

कहाँ छुपे हो सीने में
तो सांसे भारी रहती है

आंखों में रहते हो तो
पलके भारी रहती है

ख्वाबो में तुम रहते हो तो
नींदे भारी रहती है

दिल मे तुम रहते हो तो
हर धड़कन बेचारी रहती है

तुम रहते हो जहन में धंसे हुए
मेरी मति मारी रहती  है

बस पा लूँ तुम्हे पाने की तरह
मेरी यहीं  गरारी रहती है

सुनीता धारीवाल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें