हे औरतो
तुम्हारे सम्बोधन
डार्लिंग ,बेबी ,शोना शोना
गर हैं तो
तुम नहीं जान पाओगी
उन कानो की पीड़ा
जिन्हे उबलते सीसे से
शब्दों से भरा जाता है
सुबह शाम
सुनती हैं जो
ऐ हरामजादी
बोलती है चिल्लाती है
जुबान लड़ाती है
खूब जानता हूँ मैं
तुम जैसी तिरिया
औरतो का मुँह
नीचे से बंद होता है
चल भीतर
सुनीता धारीवाल जांगिड़
समाज को जैसा देखा वही लिखा है ।जैसा स्त्रियों ने सुना वही लिखा है हमेशा ।तुम बहनो इनबॉक्स में मुझ से कही मैंने जग से कही कविता के रूप में ।
हर कोई मुझ सी सौभाग्यशाली नही होता ।जिसे केवल और केवल सम्मान और लाड़ प्यार मिले परिवार से ।
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