यह कुछ ऐसा है कि आप ने एक खूबसूरत वयस्क शरीर को नग्न देखना है यानी एक आकर्षक नाप वाले शरीर को नितांत नग्न देखना है और उसके लिए कुछ कीमत अदा करनी है वे शरीर मेकअप से लकदक है और वे एक खम्बे का सहारा ले कर विभिन्न मुद्राएँ बनाते है एक दम लचीले शरीर से वे पोल के सहारे कितनी तरह से लिपटते चढ़ते उतरते हैं और तेज संगीत और मद्धम रौशनियों में गजब का लचीला नृत्य करते हैं बेहद खूबसूरत शक्ल ओ सूरत की लड़कियां या लड़के जिनका पेशा यही है कि वे अपने शरीर को दिखा कर आजीविका कमा रहे हैं ।अभी भारत मे इस तरह के व्यवसाय की अनुमति नही है परंतु पश्चिम के देशों में यह प्रथम विश्व युध्द के समय से ही प्रचलन में हैं ।
पर्यटन व्यवसाय में स्ट्रिप क्लब आज भी बड़ा आकर्षण है ज्यादातर लोग वह स्थान चुनते है जहां पर स्ट्रिप क्लब हों ।स्त्रियों और पुरुषो के लिए अलग अलग क्लब उपलब्ध हैं ।यह आपकी अपनी इच्छा है आप किसे देखना चाहते हैं ।या कुछ ऐसे क्लब भी हैं जहां स्त्री और पुरूष दोनो ही देखे जा सकते हैं ।और आजकल तो स्ट्रिपर घर पर आ कर भी अपनी सेवाएं देते हैं लोग अपने घर की पार्टियों में उन्हें आमन्त्रित करते हैं और वे उत्तेजक संगीत के साथ एक एक कर के सभी कपड़े उतारते हैं और दर्शक इसका आनन्द लेते हैं ।हम इसे बेहूदा कह सकते हैं क्योंकि हमारे देश मे नग्नता को व्यवसाय के रूप में न ही मान्यता है न ही सम्मान ।
शरीर के बारे में अलग अलग संस्कृतियों में अलग अलग नजरिया है उसी के वशीभूत हम शरीर को ले कर धारणाएं बनाते है और अपने शरीर का उपयोग करते है और शरीर के साथ व्यवहार करते हैं ।
एक सिद्धांत तो विश्व व्यापी है कि शरीर हमारी निजी संपत्ति है यह निजता है जिस पर केवल हमारा हक है ।हम स्वयं तय करते हैं कि हम अपने शरीर के साथ क्या व्यवहार करें या क्या उपयोग करें ।एक पत्रकार होने के नाते और सामाजिक जिज्ञासु होने के नाते में
मैं उन लड़कियों से मिलना चाहती थी जो स्ट्रिप क्लब में काम करती है और उनका जीवन किस तरह का होता है उनकी सोच क्या है मेरे ऑस्ट्रेलिया प्रवास के दौरान
मेरी मुलाकात हुई सांद्रा से जो अजरबेजान से कुछ वर्ष पहले ऑस्ट्रेलिया आई थी और स्ट्रिप क्लब में काम कर रही थी ।मैंने स्ट्रिप क्लब का दौरा करना तय किया जिस में मैं अन्य लड़कियों से मिल कर बात कर सकती थी ।मैंने डायरी पेन उठाया और चल दी उन सब हसीनाओं से मिलने जो स्ट्रिपर होने में फख्र महसूस करती हैं जहां सांद्रा मुझे सभी से मिलवाने वाली थी ।एक रोज तय समय पर मैंने और मेरी भाभी सोनिका (जोकि स्थानीय नागरिक हैं )ने टैक्सी ली और
ब्रिसबेन शहर के बीचों बीच मुख्य बाजार में जहां कई क्लब हैं पँहुच गई और तय स्ट्रिप क्लब की तरफ हो ली ।गेट पर ही दो जेंटलमैन थे जिन्होंने हमारे जूते चेक किये ।वहां पर फॉर्मल शूज ही पहन कर जाया जा सकता था जिस पर फीते बंधे हों।पुरषो के लिए सूट बूट टाई और पोलिश किये जूते पहन कर जाना होता है यह वहां का औपचारिक नियम है । यह शाम के सात बजे का समय था टिकट ले कर हम दोनो आगे बढ़ी पहली मंजिल संगीत का शोर सुनाई दे रहा था ।हम उसी तरफ हो ली ।हाल में प्रवेश करते ही मद्धम रौशनियों और का अद्भुत नजारा था परफ्यूम की हल्की गंध फैली थी ।बीचो बीच एक पूल बना था जिस पर अलग अलग स्थानों पर साथ साथ खम्बे लगे थे जिस पर लड़कियां झूल रही थी सर्कर्स की तरह कलाबाजियां खा रही थी ।एक कॉर्नर पर बार था जहां पर कुछ लड़कियां मेहमानों के लिए ड्रिंक और स्नेक्स परोसने की तैयारी कर रह रही थी ।
मैंने और सोनिका ने बैठने के लिए एक ऐसी जगह चुनी जहां से पूरे क्लब को देखा जा सकता था और हर गतिविधि देखी जा सकती थी ।
जैसे ही हम ने अपने चारों तरफ नजर दौड़ाई चारो ओर पुरुष ही बैठे थे केवल हम ही दो महिलाएं थी
एक बारगी तो हमें बड़ी झेंप हुई पर हम तुरंत सम्भली और अपनी डायरी पेन निकाल लिखने लगी ।हमारी मनस्तिथि का अंदाजा लगा कर सांद्रा हम तक आई और हमें सहज करते हुए हम से बात चीत करने लगी और बाकी लड़कियों से मिलवाने लगी ।देखते देखते पांच सात लड़कियां हमारी टेबल पर आ पँहुची और हम से बात करने लगी ।अब हम बिल्कुल सहज थी और हमारे भीतर की पत्रकारिता की जाग चुकी थी और हम सवाल करने के लिये पूरी तैयार थी ।हमें एक घण्टा वॉच करने को कहा गया उस के बाद वे बारी बारी हमारे सवालों का जवाब देने आती गई ।पहले बताती हूँ उस एक घण्टे में हम ने क्या देखा ।पूल में सात लड़कियां तो खम्बो पर लटकी हुई अलग अलग मुद्राएँ बना रही थी
वस्त्र के नाम पर उन्होंने बिकनी पहनी हुई थी ।खूबसूरत शरीर गोरे झक्क सफेद रंग सुनहरी बाल और कुछ मंगोल चेहरे और निपट काले चमकीले खुले बालों वाली लड़कियाँ जिम्नास्ट की तरह कलाबाजियाँ दिखा रही थी ।कम वस्त्रों के बावजूद भी वे कहीं से भी अश्लील या अभद्र नही लग रही थी ।सब लोग उन्हें देख रहे थे और वे मनचाहा नाच रही थी ।
अगले कुछ पल में हमारे टेबल पर स्ट्रिपिंग ऑडर लेने एक वेट्रेस आई जो स्वयं भी बिकनी में ही थी ।हमारे लिए यह पहला अवसर था तो हमें तो पता नही था कि स्ट्रिपिंग ऑडर क्या होता है ।हम ने उसे पूछा तो उस ने बताया कि आप आर्डर कर सकती हैं कि पूल में जितनी भी लड़कियां है उन में से आप किस किस को पूरी तरह निवस्त्र देखना चाहती हैं ।हमें लड़की को चुन कर बताना था कि हम फलां को देखना चाहेंगी और उस के लिए हमें पैसे देंने होंगे ।मैने और सोनिका दोनो ने एक स्वर में मना कर दिया ।
अब शुरू हुआ क्लब में स्ट्रिपिंग का दौर चूंकि ग्राहकों द्वारा आर्डर दिए जा चुके थे अब उन पर कार्यवाही होनी थी ।धीरे धीरे एक एक कर के लड़कियां पोल से उतर कर पूल में आने लगी थी ।और अन्य लड़कियां पोल पर जाने लगी थी यह एक सिलसिला सा था कि कोई पोल खाली नही रहता ।
और हाँ पूल एक तरह से स्विमिंग पूल की तरह होता है पर उस मे पानी नही होता ।इसी एरिया में लड़कियां अपनी नृत्य के साथ स्ट्रिपिंग प्रस्तुत करती हैं ।इस पूल की चारदीवारी के साथ जो टेबल लगाए जाते है या जो काउच बैठने के लिए लगाए जाते हैं उस जगह बैठने की कीमत ज्यादा वसूली जाती है ।और पूल के चारो तरफ झीने पर्दे वाले छोटे छोटे खोखे नुमा ब्लॉक बने होते है जिन्हें व्यक्तिगत बॉक्स कहा जाता है जहां ग्राहकों के बुलाने पर स्ट्रिपर उस बॉक्स में जाती है इस व्यवस्था की भी ज्यादा कीमत वसूली जाती है ।
तो अब बात करते है स्ट्रिपिंग की - रूल यह कि ग्राहक किसी भी लड़की को निवस्त्र देखने के लिए पैसा देता है और वह चुनी हुई लड़की पूल में आ कर नृत्य भंगिमाएं करते हुये अपने वस्त्र उतारती है यूँ तो पहले से शरीर पर दो ही वस्त्र होते हैं ब्रा और पेंटी पर अब उन्हे भी उतारने की बारी आती है ग्राहक सिर्फ वक्ष देखना चाहे तो उसके पैसे दिए जाते है और योनि देखना चाहे तो उस के पैसे अलग से ।इस तरह से पूरी तरह निवस्त्र हो जाती है ।सारे शरीर पर जोरदार मेक अप होता है तो खूबसूरत दिखने में तो कोई कमी नही होती ।एक बारगी आप उस शरीर की प्रसंशा कर सकते हो कि इंसानी शरीर कितना आकर्षक होता है देखने मे ।आप के दिमाग मे इतना सब देखने पर भी अश्लीलता नही पसरती ।पर इस से अगला दौर उत्तेजना का शुरू होता है जिस में और पैसे दे कर वे नग्न अवस्था मे सहवास भाव भंगिमाओं को दर्शाती है जिस से वातावरण बदल जाता है ।यह लड़कियां पुरषो की गोद मे जा कर बैठ जाती है । नियम के मुताबिक पुरुष इन्हें छू नही सकते हाथ नही लगा सकते ।वे अपनी मन मर्जी से उकसाने वाली हर हरकते करती है परंतु पुरषो को स्वयं पर नियंत्रण करना है और हाथ नही लगाना है ।हम ने अब पुरषो की प्रतिक्रिया को नोट करना शुरू किया कि वे खूब पैसा लगाते रहे और निरीह देख रहे थे ।बेबसी दिख रही थी और वे बाथरूम की तरफ दौड़ते दिखाई देते थे ।कुछ मुट्ठियाँ भींच रहे थे ।कुछ कुर्सी के हैंडल को कस कर पकड़े हुए थे ।उन्हें केवल उतेजित होना था और नियंत्रण करना था ।इन स्ट्रिप क्लब्स का यही मनोविज्ञान है इसी क्रिया के लिए पैसे खर्च किये जाते हैं
।अब हमारी बारी थी इन सब स्ट्रिपर लड़कियों से मिलने की उनके अनुभव पूछने थी ।स्वाभाविक है कि इतना सब देखने के बाद हमारे पास पूछे जाने वाले सवालों की लिस्ट बढ़ गई थी ।जो हम देख रही थी वह हमारी सोच से कहीं परे था ।हमारे अंदाजे से भी बाहर की बात थी यह ।खैर अब लड़कियां बारी बारी हमारी टेबल पर अपने मन की बात रखने आने लगी ।सांद्रा ने बताया कि उसकी फैमिली डिसफंग्क्शनल है मां बाप को उस से कोई वास्ता नही वह घर के माहौल से तंग आ कर भाग आई ।चार साल से यही करती है उसे यह सब करना आसान लगता है । शुरुआत में उस ने एक स्टोर में काम किया ।मेरी एक रूम मेट मिली जो यह काम करती थी उस ने कहा कि मेरी बॉडी अच्छी है मुझे यह ट्राई करना चाहिए ।मुझे यह काम अच्छा लगा ।लोग हमारे शरीर की प्रसंशा करते हैं हमें टिप भी मिलती है ।यह मुझ में आत्म विश्वास जगाता है यह मुझे बताता है कि मेरे पास भी कुछ अच्छा है जिस पर मुझे फख्र होना चाहिए ।
मैंने पूछा कि तुम्हारे माता पिता ने तुम्हे ढूंढने की कोशिश नही की ? उस ने जवाब दिया - नही उन्होंने शायद मुझे नही खोजा ।मैं उनके पास जाना भी नही चाहती ।मेरा उन से कोई नाता नही है ।
अब अगली लड़की जिसका नाम मारिया था उस ने बताया कि वह नीदरलैंड से है वह भी तीन साल से आस्ट्रेलिया में हैं पहले वह छोटे से शहर में स्ट्रिपिंग करती थी ।अब वह बड़े शहर में आई है उसे यह सब अच्छा लगता है ।उसे अच्छा महसूस होता है जब लोग कातर निगाहों से उसे देखते और मुस्कुराते हैं ईश्वर ने उसे इतना खूबसूरत शरीर दिया है तो मैं अपने शरीर की प्रसंशा क्यों न सुनूँ ।यह बड़ा सुखद है लोग बार बार आपको देखने आएं और आपकी प्रसंशा करें ।उसका यह भी कहना था हमारे पास सुंदर शरीर है जिसको मेन्टेन करने में हम ने मेहनत की है तो हम क्यों न दिखाऐं और कमाएं ।उस ने कहा कि यह काम उसे पसंद है इसलिए करती है।
उस के बाद हमारे पास आई लुसिआ जो ब्राजील से आई है उसकी आँखें नीली है बालों का रंग भूरा भरा पूरा बदन है और सुर्ख लाल रंग की बिकनी में वह बेहद सुंदर लग रही थी ।उस ने बताया कि हम सब लडकियाँ दोपहर को 2 बजे क्लब में आती हैं और तब यहां आ कर मेकअप का दौर शुरू होता है लगभग तीन घण्टे तक मेकअप निपटाने में लगते है सारे शरीर पर फाउंडेशन लगाया जाता है हर एक रोम को निकाला जाता है सारे शरीर की जांच होती है तैयारी होती है और उसके बाद हम 6 बजे पूल में आ जाती है और पूरी रात बीतने के बाद सुबह 4 से 5 बजे के बीच छुट्टी होती है तब हम घर पँहुच कर सोती है और फिर 2 बजे पंहुचना होता है ।हमारा शरीर थक कर चूर हो चुका होता है ।पोल डांस करना बहुत थकाता है और हर समय मुस्कुराना भी पड़ता है ।बेशक यह बड़ा ग्लैमरस लगता है पर कुछ समय के लिए अनजान लोगों की अटेंशन पाने के यह घाटे का सौदा है ।मात्र एक या दो डॉलर में नंगा होना कोई न्याय संगत नही लगता ।पर अब मुझे इसकी आदत हो चुकी है मैंने व्यवसाय बदलने के लिए सोचा जरूर था पर कर नही पाई ।एक दिन जब शरीर मे मादकता नही रहेगी तब भी तो वही सब करना होगा तब तक मैं यही करती रहूंगी ।
एक और लड़की जोया जो मात्र 17 या 18 वर्ष की बमुश्किल होगी उस से पूछा तो उस ने बताया कि वे तुर्किया है वह पढ़ने के लिए आई थी और यह सब करना उसे रोमांच देता है उसे पुरषो को असहाय होते देखना चरम आनंद देता है और हंसी आती है ।वह इन क्षणों को बहुत एन्जॉय करती है पोल डांस करना व्यायाम है इस से उसका मानसिक संतुलन सही रहता है और हार्मोन भी संतुलित रहते है यहां आने का एक फायदा और है कि यहां पर शराब फ्री मिलती है और खाना भी और टिप भी मिलती है जो मेरे लिए काफी है
यहां पर हम सब सखियां है जिन में एकता भी है हम ही परिवार है एक दूसरे का ख्याल रखती है ।अब अन्य दो लड़कियों की बारी थी हमारे पास आने की वे अपने प्रसंशक ग्राहकों में व्यस्त थी तो हमें थोड़ा इंतजार करना पड़ा ।आखिरकार वे आई एक लड़की तो रिबेका से थी और एक थाई लड़की थी दोनो बैठ गई ।मैंने पूछा कि यदि आप का प्रसंशक आप को दिन में भी मिलना चाहे तो आप क्या करती हैं ।उनका जवाब था कि यहां पर जो भी उनके नाम हैं या जो भी उनकी पहचान बताई गई है वह नकली है उनके यह नाम असली नही हैं
न ही हमारा पता असली है ।हमारे क्लब में चारो तरफ बाउंसर है असले से लैस भी हैं यह सुरक्षा में तैनात है ।वैसे इन क्लब को जेंटल मैन क्लब ही माना जाता है जिस में नियम का पालन करने वाले पुरुष ही आते हैं
हम दिन में किसी से नही मिलते न ही किसी को अपना पता बताते हैं हम प्रोफेशनल है और अपने नियम हमें पता है हमारा क्लब हमें ज्यादा पैसा देता है यदि कोई हमारा फैन बार बार आता है तो क्लब को फायदा होता है ।हमारा काम ही यह है कि हम उन पुरषो को बार बार यहां आने के लिए मजबूर करती रहें ।वे हमें अपने दुख सुख भी सुनाते हैं हम सुनती रहती हैं कई बार तो बहुत बोरिंग लगता है उनका रोना धोना ।पर हमारा काम है ग्राहक की सुनना ।हम अपनी मर्जी से यह सब करती है न कोई मजबूरी है न कोई थोपता है न ही कोई टैबू है कि यह काम क्यों करना है ।कुछ शादी शुदा स्त्रियां भी यह काम करती हैं ।यदि हमारा शरीर आकर्षक न होता तो कौन हमें देखने आएगा या कौन हमें अपने क्लब में रखेगा ।यह काम न तो घृणित है न ही असामाजिक यह टोटल फन है जिस में हमें भी खुशी होती है ।
क्लब के मैनेजर ने बताया कि यह स्थाई काम नही है बहुत थोड़े समय का है लड़कियां आती जाती रहती हैं ।यह लीगल है और पर्यटन की बड़ी आमदनी इस व्यवसाय से होती है ।यह कभी बन्द नही हो सकता ।
हमें यह भी ज्ञात हुआ कि इसी गली में आगे पचास कदम दूर एक और स्ट्रिप क्लब है जो महिलाओं के लिए है जिस में पुरुष स्ट्रिपिंग करते हैं और बड़ी संख्या महिलाएं उनकी ग्राहक है और पुरुष स्वेच्छा से नग्न हो रहे हैं महिलाओं के लिए ।यानी मामला बराबरी का है ।परंतु हमें पहले से ही देर हो गई थी ईसलिए पुरुष स्ट्रिप क्लब का दौरा करना और महिलाओं के व्यवहार को दर्ज करने का काम हम ने अगली बार के ऑस्ट्रेलिया दौरे के या किसी अन्य देश के दौरे के लिए सुरक्षित रख लिया ।इस बार यहां की खोज खबर ले ली है हम ने और आप को बता दी हैं ।भारत मे इस प्रकार के जेंटल मैन क्लब की कल्पना करते ही मेरा दिमाग सिहर गया ।इन लड़कियों का रेप कर डालना , जबरन उठा ले जाना ,पीछा करना , हत्या कर देना.. अधिकतर लोगों द्वारा जायज ठहराया जाएगा.. कि इन के साथ तो यही सब होना चाहिए गन्दगी मचा रखी है इन्होंने ।दोगलापन भी मुखर हो कर सामने आएगा ।रात को इन्ही को संरक्षण मिलेगा सुबह इन्हीं के खिलाफ सड़को पर आंदोलन होंगे ।जैसा हमारा सामाजिक माहौल है उस हिसाब से तो भारत मे दूर दूर तक कभी भी स्ट्रिप क्लब नही खुलेंगे न ही खुलने चाहिए ।हालांकि उच्च वर्ग की रेव पार्टियों में जहां ड्रग्स का खुले आम इस्तेमाल होता है वहां स्ट्रिपर को भी गैर कानूनी रूप बुलाया जाने लगा है। इस की चर्चा फिर कभी करूँगी
आज के इस लेख से यही समझा जा सकता है कि नग्नता के सम्बन्ध में अलग अलग सामाजिक परिवेश अनुसार अलग अलग मान्यताएं है न सब कुछ सही न सब कुछ गलत सब की अपनी अपनी धारणा है ।कुछ समाजो में सब गलत कुछ में सब ठीक ।हम कौन होते हैं ज़ज करने वाले ।बस कहीं आवाज उठानी हो तो मानव पर हिंसा ,क्रूरता ,दलन ,छल कपट पर जरूर उठानी चाहिए ।।
और हां चलते चलते यानी क्लब की सीढ़ियां उतरते हुए मैने सांद्रा से पूछा कि यदि कोई आपका चाहने वाला पुरुष यदि आप को दिन में आपको अचानक मिल जाये तो कैसी प्रतिक्रिया होती है तब वह जोर से हंसी कि उसे शॉपिंग मॉल में एक मिला था वह अपने परिवार के साथ था उस ने मुझे देखते ही नजर फेर थी जैसे मुझे जानता ही नही है और मेरी तो हंसी निकल गई ।एक अन्य भी बाजार में मिला था वह अपने दोस्तों के साथ था उस ने नजर चुरा कर मुझे देखा और मुस्कुराया और चलते चलते उस ने शरारत से आंख मारी और इशारा किया कि तुम एक दम टॉप हो ।तब मैं झेंप गई और आगे बढ़ गई ।और वह गेट तक हंसती रही ।सीढ़ियों से नीचे उतरते तक हमें उसकी जोर की हंसी की आवाज सुनाई देती रही ।।और हम लौट आईं
सुनीता धारीवाल