बुधवार, 30 अक्तूबर 2019

नीड़

किस नीड़ से भला 
कहाँ रुके है 
पर निकले परिंदे 
नीड़ का मुहाना ही 
बनता है 
पहला मंच 
जहां से उड़ा जाता है
और बैया 
बस देखती है 
वह आखेट 
और तन्द्रा तोड़ 
ताकती है फिर 
नर बैया की और 
ताकि फिर से बना सके 
एक और लांच पैड 
कुछ नए परिन्दों के 
आखेट के लिए 
और वह यूँ ही 
दोहराती रहती है 
सिलाई 
धागा पर धागा
सुनीता धारीवाल